केंद्रीय एमएसएमई मंत्री (Union Minister for MSME) नितिन गडकरी ने अगरबत्ती उत्पादन में भारत को आत्म-निर्भर बनाने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) द्वारा प्रस्तावित एक नए रोज़गार सृजन कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है. ‘खादी अगरबत्ती आत्म-निर्भर मिशन’ (Khadi Agarbatti Aatmanirbhar Mission) नाम के इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश के विभिन्न हिस्सों में बेरोजगारों और प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजगार पैदा करना और घरेलू अगरबत्ती उत्पादन में पर्याप्त तेजी लाना है. इस प्रस्ताव को पिछले महीने मंजूरी के लिए एमएसएमई मंत्रालय के समक्ष रखा गया था. प्रायोगिक परियोजना जल्द ही शुरू की जाएगी. इस परियोजना के पूर्ण कार्यान्वयन होने पर अगरबत्ती उद्योग में हजारों की संख्या में रोजगार के अवसर का सृजन होगा.
दैनिक खपत 1,490 टन लेकिन स्थानीय स्तर पर उत्पादन सिर्फ 760 टन
देश में अगरबत्ती की वर्तमान खपत लगभग 1490 मीट्रिक टन प्रतिदिन है. हालांकि, भारत में अगरबत्ती का उत्पादन प्रतिदिन केवल 760 मीट्रिक टन ही है. मांग और आपूर्ति के बीच बहुत बड़ा अंतर है. इसलिए, इसमें रोजगार सृजन की अपार संभावनाएं हैं और यह किसी के लिए स्वरोज़गार का बहुत अच्छा माध्यम हो सकता है।
मुख्य रूप से अभी भरी मात्रा मैं चीन और वियतनाम से अगरबत्ती का आयत किया जाता है। इसको नियंत्रण मैं रखने और स्थानीय लोगों को लाभ के लिए, घरेलू उद्योग की मदद के लिये केंद्र सरकार ने अगरबत्ती क्षेत्र के लिये दो बड़े निर्णय किये। एक तरफ जहां इसे मुक्त व्यापार से प्रतिबंधित व्यापार की श्रेणी में लाया गया, वहीं अगरबत्ती बनाने में काम आने वाले बांस से बनी गोल पतली लकड़ी पर आयात शुल्क 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया गया। केवीआईसी के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि केंद्र सरकार के दोनों निर्णयों से अगरबत्ती उद्योग में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित होंगे।
क्या है यह स्कीम
योजना के तहत केवीआईसी अगरबत्ती बनने के लिए कारीगरों को स्वचालित मशीनें और पाउडर मिलाने वाली मशीनें उपलब्ध कराएगा। यह सब निजी अगरबत्ती विनिर्माताओं के जरिए किया जाएगा जो व्यापार भागीदार के रूप में समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। केवीआईसी मशीन की लागत पर 25 प्रतिशत सब्सिडी देगा और 75 प्रतिशत राशि कारीगरों से हर महीने आसान किस्त के रूप में लेगा। सक्सेना ने कहा कि कार्यक्रम के लिये पायलट परियोजना इस महीने शुरू होगी। सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय ने कहा, ” कारीगरों को कच्चे माल की आपूर्ति, लॉजिस्टिक, गुणवत्ता नियंत्रण और अंतिम उत्पाद के विपणन का जिम्मा व्यापार भागीदार का होगा। लागत का 75 प्रतिशत वसूल करने के बाद मशीनों का मालिकाना हक स्वत: कारीगरों के पास चला जाएगा।” मंत्रालय के अनुसार प्रत्येक स्वचालित अगरबत्ती बनाने की मशीन से प्रतिदिन 80 किलो अगरबत्ती बनाई जा सकती है। इससे चार लोगों को सीधा रोजगार मिलेगा और इससे प्रत्येक कारीगर को कम-से-कम 300 रुपये प्रतिदिन मिलेंगे। इसके अलावा पांच अगरबत्ती मशीन पर एक पाउडर मिलाने की मशीन दी जाएगी। इससे दो लोगों को रोजगार मिलेगा जिस पर काम करने वाले कारीगरों को 250 रुपये प्रतिदिन मिलेगा। कारीगरों को मजदूरी व्यापार भागीदार द्वारा साप्ताहिक आधार पर दिया जाएगा।
दोस्तों यह योजना अपना अगरबत्ती उत्पादन का बिज़नेस करने के लिए सुनहरा मौका देती है।